यख़-ज़दा उँगलियाँ
यख़-ज़दा उँगलियाँ
तह-ब-तह बर्फ़ की चादरों से उभरती हुई
बर्फ़ इस साल इतनी पड़ी है
कि रस्ते के सब पेच-ओ-ख़म छुप गए हैं
और लड़कियाँ
दूर पुर-नूर लाम्बे दरीचों से जब बर्फ़ में यख़-ज़दा उँगलियाँ
देखती हैं तो ये पूछती हैं
कि इस बर्फ़ से फूल कैसे खिला
कोंपलें कैसे फूटीं
ज़मीं बाँझ थी किस तरह यक-ब-यक हामिला हो गई
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