है जो सीना में जगह लहके है अँगारा सा
है जो सीना में जगह लहके है अँगारा सा
दिल जो पहलू में है बेताब है वो पारा सा
आँख लगती है कोई पल तो हमें हाँ उस का
आलम-ए-ख़्वाब में हो जाए है नज़्ज़ारा सा
दिल है उस सोज़न-ए-मिज़्गाँ से मुशब्बक मेरा
छूटने क्यूँ लगे ख़ून का फ़व्वारा सा
दिल कहीं दीदा कहीं जी है कहीं जान कहीं
गर्दिश-ए-चर्ख़ में हर एक है आवारा सा
सीना-कूबाँ तिरे कूचा से रह जाता है 'निसार'
सुब्ह से सुनते हैं हम कोच का नक़्क़ारा सा
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