Ghazals of Mohammad Amaan Nisar
नाम | मोहम्मद अमान निसार |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Amaan Nisar |
ये जो हम से दो चार बैठे हैं
सौ तरह का छोड़ कर आराम तेरे वास्ते
मेरे परवाने को अब मुज़्दा-ए-मायूसी है
क्या जामा-ए-फुल-कारी उस गुल की फबन का था
कुछ मुझे अब ज़िंदगी अपनी नज़र आती नहीं
किस काफ़िर-बे-मेहर से दिल अपना लगा है
कीना जो तिरे दिल में भरा है सो किधर जाए
कटती है कोई दम यहीं औक़ात मज़े की
करो सामान झूले का कि अब बरसात आई है
हम दिल ओ जाँ से ख़रीदार हैं किन के उन के
है जो सीना में जगह लहके है अँगारा सा
दोस्ती चाह दिली मेहर-ओ-मोहब्बत गुज़री
देखे कहीं मुझ को तो लब-ए-बाम से हट जाए
चोरी चोरी आँख लड़ते में दिखा दूँ तो सही
बार-ए-ख़ातिर बाग़बाँ का ने दिल-आज़ार-ए-चमन
अश्क हुए हैं अबतर ऐसे हम को बहाए देते हैं