मोहम्मद अमान निसार कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहम्मद अमान निसार
नाम | मोहम्मद अमान निसार |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Amaan Nisar |
था जिन्हें हुस्न-परस्ती से हमेशा इंकार
मुझ में और उन में सबब क्या जो लड़ाई होगी
मत मुँह से 'निसार' अपने को ऐ जान बुरा कह
क्या फ़ुसूँ तू ने ख़ुदा जाने ये हम पर मारा
किस जफ़ा-कार से हम अहद-ए-वफ़ा कर बैठे
ख़ंजर न कमर में है न तलवार रखे है
जूँ जूँ नहीं देखे है 'निसार' अपने सनम को
देखे कहीं रस्ते में खड़ा मुझ को तो ज़िद से
आ जाए कहीं बाद का झोंका तो मज़ा हो
ये जो हम से दो चार बैठे हैं
सौ तरह का छोड़ कर आराम तेरे वास्ते
मेरे परवाने को अब मुज़्दा-ए-मायूसी है
क्या जामा-ए-फुल-कारी उस गुल की फबन का था
कुछ मुझे अब ज़िंदगी अपनी नज़र आती नहीं
किस काफ़िर-बे-मेहर से दिल अपना लगा है
कीना जो तिरे दिल में भरा है सो किधर जाए
कटती है कोई दम यहीं औक़ात मज़े की
करो सामान झूले का कि अब बरसात आई है
हम दिल ओ जाँ से ख़रीदार हैं किन के उन के
है जो सीना में जगह लहके है अँगारा सा
दोस्ती चाह दिली मेहर-ओ-मोहब्बत गुज़री
देखे कहीं मुझ को तो लब-ए-बाम से हट जाए
चोरी चोरी आँख लड़ते में दिखा दूँ तो सही
बार-ए-ख़ातिर बाग़बाँ का ने दिल-आज़ार-ए-चमन
अश्क हुए हैं अबतर ऐसे हम को बहाए देते हैं