वो देखो सूरज
ज़मीं के अंदर उतर रहा है
चलो उसे दफ़्न कर के
अपने घरों को जाएँ
तमाम दिन का अज़ाब
खूँटी पे टाँग कर
मैले बिस्तरों को
चमकते ख़्वाबों से जगमगाएँ
ये वक़्त
क्यूँ जाग कर गंवाएँ
कि कल ये सूरज
इसी ज़मीं से
निकल के
अपने सरों पे होगा
चलो इसे दफ़्न कर के
अपने घरों को जाएँ