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रोटी - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

रोटी

पड़ोसी की बकरी ने

फिर घर में घुस कर

कोई चीज़ खा ली

बीवी ने सर पे क़यामत उठा ली

मुन्ने को

रोने में जैसे मज़ा आ रहा है

बराबर वो रोए चला जा रहा है

फ़क़ीर अब भी चौखट से चिपका हुआ है

वही रोज़ वाली दुआ दे रहा है

रोटी के जलने की बू

और अम्माँ की चीख़ों से

घर भर गया है

पिंजरे में चकराते मिठ्ठू की आवाज़

'रोटी दो

बी-बी जी रोटी दो'

इस शोर में खो गई है

रोटी तवे पर भसम हो गई है

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RoTi In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. RoTi is written by Mohammad Alvi. Complete Poem RoTi in Hindi by Mohammad Alvi. Download free RoTi Poem for Youth in PDF. RoTi is a Poem on Inspiration for young students. Share RoTi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.