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नौहा - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

नौहा

न मरने का डर है

न जीने में कोई मज़ा है

ख़ला ही ख़ला है

हर इक चीज़ जैसे

अंधेरे में गुम हो गई है

उजाले की इक इक किरन खो गई है

हर इक आरज़ू सो गई है

गुनह में भी अब कोई लज़्ज़त नहीं है

वो दोज़ख़ नहीं

अब वो जन्नत नहीं है

कोई भी नहीं है

बस अब मैं हूँ

और मेरा सुनसान दिल है

ख़ुदा के न होने का ग़म

किस क़दर जाँ-गुसिल है

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Nauha In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Nauha is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Nauha in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Nauha Poem for Youth in PDF. Nauha is a Poem on Inspiration for young students. Share Nauha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.