Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e60df6a4ed181a28dc2817e8c42b8ba6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कहाँ दफ़्न है वो - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

कहाँ दफ़्न है वो

नक़ाहत के मारे बुरा हाल था

फिर भी बिस्तर से उठ कर

बड़े प्यार से उस ने मुझ को बुलाया

मिरे सर पे शफ़क़त-भरा हाथ फेरा

निहायत हलीमी से मुझ को कहा

सुनो मेरे बच्चे

तुम्हें आज मैं

अपने पचपन बरस दे रहा हूँ

अगर हो सके तो

कभी इन की क़ीमत चुकाना

मिरी क़ब्र पर थूक जाना

बस इतना कहा और वो मर गया

और मैं

उस के बरसों की क़ीमत को

मुँह में छुपाए

उसे ढूँडता हूँ

कहाँ दफ़्न है वो

(591) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kahan Dafn Hai Wo In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Kahan Dafn Hai Wo is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Kahan Dafn Hai Wo in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Kahan Dafn Hai Wo Poem for Youth in PDF. Kahan Dafn Hai Wo is a Poem on Inspiration for young students. Share Kahan Dafn Hai Wo with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.