Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_27c9e292f2c40c0e65cec0854c82618a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
इब्न-ए-मरयम - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

इब्न-ए-मरयम

तो फिर यूँ हुआ

इब्न-ए-मरयम ने इक ऊँचे टीले पे चढ़ कर कहा

सुन रहे हो

जहाँ तुम ने बोया नहीं है

वहाँ काटने क्यूँ चले हो

जहाँ कुछ बिखेरा नहीं है

वहाँ से समेटोगे क्या

लाओ अपने गुनाहों के पुशतारे लाओ

कहाँ तक इन्हें लाद कर यूँ फिरोगे

इन्हें दफ़्न कर दो

तो मुमकिन है कल इस ज़मीं पर तुम्हें

नेकियों के दरख़्तों से

लज़्ज़त के फल मिल सकेंगे

और फिर यूँ हुआ

इब्न-ए-मरयम ने देखा

तो मैदान में

चंद भेड़ें खड़ी थीं

लोग अपने मकानों की जानिब

गुनाहों को लादे

बढ़े जा रहे थे

और टीले पे तन्हा खड़ा इब्न-ए-मरयम अजब लग रहा था

(502) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ibn-e-maryam In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Ibn-e-maryam is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Ibn-e-maryam in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Ibn-e-maryam Poem for Youth in PDF. Ibn-e-maryam is a Poem on Inspiration for young students. Share Ibn-e-maryam with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.