Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2063a138acfc436bc97d9b413dd1026c, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा किया - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा किया

सच है कि वो बुरा था हर इक से लड़ा किया

लेकिन उसे ज़लील किया ये बुरा किया

गुल-दान में गुलाब की कलियाँ महक उठीं

कुर्सी ने उस को देख के आग़ोश वा किया

घर से चला तो चाँद मिरे साथ हो लिया

फिर सुब्ह तक वो मेरे बराबर चला किया

कोठों पे मुँह-अँधेरे सितारे उतर पड़े

बन के पतंग मैं भी हवा में उड़ा किया

उस से बिछड़ते वक़्त मैं रोया था ख़ूब-सा

ये बात याद आई तो पहरों हँसा किया

छोड़ो पुराने क़िस्सों में कुछ भी धरा नहीं

आओ तुम्हें बताएँ कि 'अल्वी' ने क्या किया

(603) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya Poem for Youth in PDF. Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya is a Poem on Inspiration for young students. Share Sach Hai Ki Wo Bura Tha Har Ek Se LaDa Kiya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.