मैं अपने आप से डरने लगा था
मैं अपने आप से डरने लगा था
गली का शोर घर में आ गया था
परेशाँ था खुला दरवाज़ा घर का
कोई खिड़की पे दस्तक दे रहा था
उसे मैं शहर भर में ढूँढ आया
मिरे कमरे में वो बैठा हुआ था
वहाँ के लोग भी कितने अजब थे
अजब लोगों में घिर के रह गया था
बहुत ख़ुश हो रहा था मुझ से मिल के
न जाने आज उस के दिल में क्या था
उसे मैं ने भी कल देखा था 'अल्वी'
नए कपड़े पहन के जा रहा था
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