Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_21027a72eff36c000469df67b2d043c6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए - मोहम्मद अल्वी कविता - Darsaal

कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए

कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए

उस की तस्वीर हटा दी जाए

ढूँडने में भी मज़ा आता है

कोई शय रख के भुला दी जाए

नाम लिख लिख के तिरा काग़ज़ पर

रौशनाई भी गिरा दी जाए

नाव काग़ज़ की बना कर उस को

बहते पानी में बहा दी जाए

रात को चुपके से इक इक घर की

क्यूँ न ज़ंजीर लगा दी जाए

नींद में चौंक पड़ेगा कोई

आओ उस दर पे सदा दी जाए

आख़िरी साँस महक जाएगी

उस के दामन की हवा दी जाए

सब के सब याद चले आते हैं

आज किस किस को दुआ दी जाए

'अल्वी' होटल में ठहर सकता है

क्यूँ उसे घर में जगह दी जाए

(526) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae In Hindi By Famous Poet Mohammad Alvi. Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae is written by Mohammad Alvi. Complete Poem Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae in Hindi by Mohammad Alvi. Download free Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae Poem for Youth in PDF. Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae is a Poem on Inspiration for young students. Share Kuchh To Is Dil Ko Saza Di Jae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.