Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_aefe75d528d3526cc589f377583c7b8f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
क्या कहा फिर तो कहो दिल की ख़बर कुछ भी नहीं - मोहम्मद अली तिशना कविता - Darsaal

क्या कहा फिर तो कहो दिल की ख़बर कुछ भी नहीं

क्या कहा फिर तो कहो दिल की ख़बर कुछ भी नहीं

फिर ये क्या है ख़म-ए-गेसू में अगर कुछ भी नहीं

आँख पड़ती है कहीं पाँव कहीं पड़ता है

सब की है तुम को ख़बर अपनी ख़बर कुछ भी नहीं

शम्अ' है गुल भी है बुलबुल भी है परवाना भी

रात की रात ये सब कुछ है सहर कुछ भी नहीं

हश्र की धूम है सब कहते हैं यूँ है यूँ है

फ़ित्ना है इक तिरी ठोकर का मगर कुछ भी नहीं

नीस्ती की है मुझे कूचा-ए-हस्ती में तलाश

सैर करता हूँ उधर की कि जिधर कुछ भी नहीं

शम्अ' मग़रूर न हो बज़्म-ए-फ़रोज़ी पे बहुत

रात-भर की ये तजल्ली है सहर कुछ भी नहीं

एक आँसू भी असर जब न करे ऐ 'तिश्ना'

फ़ाएदा रोने से ऐ दीदा-ए-तर कुछ भी नहीं

(646) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin In Hindi By Famous Poet Mohammad Ali Tishna. Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin is written by Mohammad Ali Tishna. Complete Poem Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin in Hindi by Mohammad Ali Tishna. Download free Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin Poem for Youth in PDF. Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Kya Kaha Phir To Kaho Dil Ki KHabar Kuchh Bhi Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.