बुज़-दिली तो वो कर नहीं सकता
बुज़-दिली तो वो कर नहीं सकता
जो है सच्चा वो डर नहीं सकता
जिस्म दुनिया भले ही दफ़ना दे
प्यार ज़िंदा है मर नहीं सकता
भूक में सिर्फ़ चाहिए रोटी
पेट बातों से भर नहीं सकता
झूट चाहे बुलंद हो कितना
सच के आगे ठहर नहीं सकता
आप देखें तो उस का हुस्न बढ़े
आइना ख़ुद सँवर नहीं सकता
जो भी साहिल का है तमाशाई
पार दरिया वो कर नहीं सकता
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