सभी तारे सभी जुगनू मेरे
सभी तारे सभी जुगनू मेरे
अब और आँचल है और आँसू मेरे
क्या हिकायात-ए-शब-ओ-रोज़ कहूँ
ज़ेहन में हैं रुख़-ओ-गेसू मेरे
क़ैद कर ले कोई आईनों में
अक्स बिखरे हुए हर-सू मेरे
काश ऐसा हो कि तितली बन कर
हाथ आ जाए वो ख़ुशबू मेरे
सब की आँखों में उड़ानें हैं मिरी
किस ने देखे पर-ओ-बाज़ू मेरे
एक मा'सूम सा चेहरा ऐ 'मौज'
कर गया ज़ेहन पे जादू मेरे
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