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थी मिरी हम-सफ़री एक दुआ उस के लिए - मोहम्मद अहमद रम्ज़ कविता - Darsaal

थी मिरी हम-सफ़री एक दुआ उस के लिए

थी मिरी हम-सफ़री एक दुआ उस के लिए

ये बिछड़ना है बड़ी सख़्त सज़ा उस के लिए

अब कोई सिलसिला-ए-तर्क-ओ-तलब ही न रहा

आँख में एक भी मंज़र न रुका उस के लिए

उस के ख़्वाबों को न दे मौसम-ए-ताबीर मिरा

कोई पैग़ाम न ले जाए सबा उस के लिए

हर्फ़ को लफ़्ज़ न कर लफ़्ज़ को इज़हार न दे

कोई तस्वीर मुकम्मल न बना उस के लिए

मैं उसे भूल भी जाऊँ मगर ऐ बे-ख़बरी

मेरी चुप उस के लिए मेरी नवा उस के लिए

'रम्ज़' दे जाए तो क्या रंग कोई मेरा लहू

'रम्ज़' पिस जाए तो किया बर्ग-ए-हिना उस के लिए

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Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye In Hindi By Famous Poet Mohammad Ahmad Ramz. Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye is written by Mohammad Ahmad Ramz. Complete Poem Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye in Hindi by Mohammad Ahmad Ramz. Download free Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye Poem for Youth in PDF. Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye is a Poem on Inspiration for young students. Share Thi Meri Ham-safri Ek Dua Uske Liye with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.