चेहरा उन का सुब्ह-ए-रौशन गेसू जैसे काली रात
चेहरा उन का सुब्ह-ए-रौशन गेसू जैसे काली रात
बातें उन की सुब्हान-अल्लाह गोया क़ुरआँ की आयात
रुख़ का जल्वा पिन्हाँ रक्खा पैदा कर के मख़्लूक़ात
हुस्न-ए-ज़ाहिर सब ने देखा किस ने देखा हुस्न-ए-ज़ात
जज़्बे की सब गर्मी सर्दी बहते अश्कों की बरसात
हम ने सारे मौसम देखे हम पर गुज़रे सब हालात
ग़म की सारी चालें गहरी बचते बचते आख़िर-कार
देखा इस बेचारे दिल ने बेबस हो कर खाई मात
जीते-जी कब दुनिया पूछे मरते ही इस दर्जा प्यार
हाथों-हाथ उठाए दुनिया लाए अश्कों की सौग़ात
हुस्न-ए-ख़ुद-बीं जिस की फ़ितरत शेख़ी शोख़ी ज़ुल्म-ओ-जौर
दाम-ए-उल्फ़त में फँस जाए मेरी आँखों देखी बात
उम्र-ए-पायाँ की मंज़िल में अहद-ए-माज़ी आए याद
अब भी 'नज़र' में रक़्साँ मेरे भूले बचपन के लम्हात
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