Ghazals of Mohammad Abbas Safiir
नाम | मोहम्मद अब्बास सफ़ीर |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Abbas Safiir |
ये लौ कैसी है जो इक साँस भी मद्धम नहीं होती
उन के जल्वे सहर-ओ-शाम तक आ पहुँचे हैं
उल्फ़त हो तो उल्फ़त के सहारे भी बहुत हैं
तिरे दीवाने इज़हार-ए-मोहब्बत कर नहीं सकते
पैहम उदासियों से बयाबाँ है ज़िंदगी
न हो मर्ज़ी ख़ुदा की तो किसी से कुछ नहीं होता
हिज्र में दिल का दाग़ जलता है
दिल की मायूस तमन्नाओं को मर जाने दो
बड़ी इबरत की मंज़िल है ज़मीं गोर-ए-ग़रीबाँ की
आप को गर्दिश-ए-अय्याम से डर लगता है