Ghazals of Moghisuddin Fareedi
नाम | मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Moghisuddin Fareedi |
तू अपने पिंदार की ख़बर ले कि रुख़ हवा का बदल रहा है
शुऊर-ए-ज़ात थोड़ा सा दिल-ए-नादाँ में रखते हैं
मुफ़्त है ख़ून-ए-जिगर अज़्मत-ए-किरदार के साथ
मिलती है नज़र उन से तो खो जाते हैं हम और
हुस्न-ए-ज़न काम लीजे बद-गुमानी फिर सही
हम ने तन्हा-नशीनी ख़रीदी तो है रौनक़ ओ शोरिश-ए-अंजुमन बेच कर
हवा से बादा निचोड़ें कली को जाम करें
हस्ती के हर इक मोड़ पे आईना बना हूँ
हर कड़े वक़्त पे आईना दिखाया है मुझे
दिल-ए-बे-क़रार चला तो था गिला-ए-हयात लिए हुए
दिल में जिन्हें उतारते दिल से वही उतर गए
बे-शौक़-ए-तलब बे-ज़ौक़-ए-नज़र बे-रंग थी उन की गुल-बदनी
बरसों जो नज़र तूफ़ानों के आग़ोश में पलती रहती है
अंदाज़-ए-सुख़न मस्लहत-आमेज़ बहुत है
आँसू भी बहा कर देख लिए सोज़-ए-ग़म-ए-पिन्हाँ कम न हुआ