Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_9735e7d5f14ec8d4e5540ce2d6729616, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कौन सय्याद इधर बहर-ए-शिकार आता है - मियाँ दाद ख़ां सय्याह कविता - Darsaal

कौन सय्याद इधर बहर-ए-शिकार आता है

कौन सय्याद इधर बहर-ए-शिकार आता है

ताइर-ए-दिल क़फ़स-ए-तन में जो घबराता है

ज़ुल्फ़-ए-मुश्कीं का जो इस शोख़ के ध्यान आता है

ज़ख़्म से सीना-ए-मजरूह का चर जाता है

हिज्र में मौत भी आई न मुझे सच है मसल

वक़्त पर कौन किसी के कोई काम आता है

अब तो अल्लाह है यारान-ए-वतन का हाफ़िज़

दश्त में जोश-ए-जुनूँ हम को लिए जाता है

डूब कर चाह-ए-ज़क़न सीना मिरा दिल निकला

क़द्द-ए-आदम से सिवा आब नज़र आता है

मुज़्दा ऐ दिल कि मसीहा ने दिया साफ़ जवाब

अब कोई दम को लबों पर मिरा दम आता है

तेग़ सी चलती है क़ातिल की दम-ए-जंग ज़बाँ

सुल्ह का नाम जो लेता है तो हकलाता है

तुर्रा-ए-काकुल-ए-पेचाँ रुख़-ए-नूरानी पर

चश्मा-ए-आईना में साँप सा लहराता है

शौक़ तौफ़-ए-हरम-ए-कू-ए-सनम का दिन रात

सूरत-ए-नक़्श-ए-क़दम ठोकरें खिलवाता है

दू-ब-दू आशिक़-ए-शैदा से वो होगा क्यूँकर

आईने में भी जो मुँह देखते शरमाता है

सख़्त पछताते हैं हम दे के दिल उस को 'सय्याह'

अपनी अफ़्सोस जवानी पे हमें आता है

(686) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai In Hindi By Famous Poet Miyan Dad Khan Sayyah. Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai is written by Miyan Dad Khan Sayyah. Complete Poem Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai in Hindi by Miyan Dad Khan Sayyah. Download free Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai Poem for Youth in PDF. Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Kaun Sayyaad Idhar Bahr-e-shikar Aata Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.