मियाँ दाद ख़ां सय्याह कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मियाँ दाद ख़ां सय्याह
नाम | मियाँ दाद ख़ां सय्याह |
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अंग्रेज़ी नाम | Miyan Dad Khan Sayyah |
तुर्रा-ए-काकुल-ए-पेचां रुख़-ए-नूरानी पर
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो
तर्क इन दिनों जो यार से गुफ़्त-ओ-शुनीद है
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो
नहीं मिलता दिला हम को निशाँ तक
कौन सय्याद इधर बहर-ए-शिकार आता है
कभी इधर जो सग-ए-कू-ए-यार आ निकला
जब से देखा है बना गोश-ए-क़मर में तिनका
है दिल को इस तरह से मिरे यार की तलाश
अपने ही दम से है चर्चा कुफ़्र और इस्लाम का