Ghazals of Miskeen Shah
नाम | मिस्कीन शाह |
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अंग्रेज़ी नाम | Miskeen Shah |
तस्बीह से ग़रज़ है न ज़ुन्नार से ग़रज़
सुनते ही दिल हो गया उस यार का असरार मस्त
शम्अ' रौशन जिस्म-ए-फ़ानूस-ए-ख़याली में है आज
नहीं है मुझ को ऐ जमशेद तेरे जाम से काम
मेरा शाहिद वो हमें अय्यार आता है नज़र
माह-रू याँ हज़ार को देखा
किसी का एक है दुश्मन तो दोस्त-दार है एक
कल हम से मुलाक़ात में वो यार जो की बहस