इक ज़रूरत है जो तहवील तक आ पहुँची है
इक ज़रूरत है जो तहवील तक आ पहुँची है
हर हक़ीक़त यहाँ तमसील तक आ पहुँची है
अब उख़ुव्वत पे भरोसा नहीं करती दुनिया
आगही निय्यत-ए-क़ाबील तक आ पहुँची है
ऐ मिरे मूनिस ओ ग़म-ख़्वार मुझे मरने दे
बात अब हुक्म की तामील तक आ पहुँची है
अब सुख़न-वर ही नहीं ख़ुद को मुसव्विर लिखिए
शायरी अब फ़न-ए-तश्कील तक आ पहुँची है
कोशिश-ए-अम्न-ओ-अमान में ही यहाँ लोगों की
ज़िंदगी शोरिश-ए-तावील तक आ पहुँची है
बे-हिसी देखिए इस दौर के इंसानों की
जिस्म क्या रूह की तहलील तक आ पहुँची है
फ़िक्र-ए-'मिस्दाक़' ने है ख़ास मसाफ़त कर ली
आप की आँख भी इस झील तक आ पहुँची है
(601) Peoples Rate This