गेसू रुख़ पर हवा से हिलते हैं
चलिए अब दोनों वक़्त मिलते हैं
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Anwar Masood
Jaun Eliya
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
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मौत से किस को रुस्तगारी है
आप की गर मेहरबानी हो चुकी
ज़हर-ए-इश्क़
गए जो ऐश के दिन मैं शबाब क्या करता
कहने में नहीं हैं वो हमारे कई दिन से
चमन में शब को घिरा अब्र-ए-नौ-बहार रहा
साबित ये कर रहा हूँ कि रहमत-शनास हूँ
देख लो हम को आज जी भर के