देख लो हम को आज जी भर के
कोई आता नहीं है फिर मर के
Javed Akhtar
Rahat Indori
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1470) Peoples Rate This
गेसू रुख़ पर हवा से हिलते हैं
गए जो ऐश के दिन मैं शबाब क्या करता
कहने में नहीं हैं वो हमारे कई दिन से
ज़हर-ए-इश्क़
आप की गर मेहरबानी हो चुकी
मौत से किस को रुस्तगारी है
साबित ये कर रहा हूँ कि रहमत-शनास हूँ
चमन में शब को घिरा अब्र-ए-नौ-बहार रहा