आप की गर मेहरबानी हो चुकी
आप की गर मेहरबानी हो चुकी
तो हमारी ज़िंदगानी हो चुकी
बैठ कर उठ्ठे न कू-ए-यार से
इंतिहा-ए-नातवानी हो चुकी
हँस दिया रोने पे वो ऐ चश्म-ए-तर
आबरू अश्कों की पानी हो चुकी
(829) Peoples Rate This
आप की गर मेहरबानी हो चुकी
तो हमारी ज़िंदगानी हो चुकी
बैठ कर उठ्ठे न कू-ए-यार से
इंतिहा-ए-नातवानी हो चुकी
हँस दिया रोने पे वो ऐ चश्म-ए-तर
आबरू अश्कों की पानी हो चुकी
(829) Peoples Rate This