Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_f3dc828ecbd6f7e5140da53f452a3f5f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
शाम का अख़बार - मिर्ज़ा मोहम्मद नय्यर कविता - Darsaal

शाम का अख़बार

देना भाई हाँ मुझे भी शाम का अख़बार एक

फिर किसी ठंडे लहू ने गर्म की होगी ख़बर

कौन से बेटे हुए हैं इस्टिकाटो की नज़्र

आज की शह-सुर्ख़ियों में ख़ून-ए-नाहक़ फिर मिला

ताज़ा ताज़ा ज़र्द काग़ज़ पर गुल-ए-अहमद खिला

किस गली मातम बिछा है

क्या सरों का है शुमार

आठ कॉलम की ख़बर के वास्ते हैं सिर्फ़ चार?

ख़ाक में लुथड़ी हुई सूरत है ये किस फूल की

कहते हैं दीवार-ओ-दर बिल्डिंग है ये स्कूल की

आज तो तस्वीर भी धुँदला गई मक़्तूल की

ना-मुनासिब है रिपोर्टिंग

बे-तुकी मंज़र-कशी

क्यूँ नहीं रख पाते हैं पर्चे का ये मेआर एक

बन गई है अब सहाफ़त जैसे कारोबार एक

देना भाई फिर भी मुझ को शाम का अख़बार एक

(474) Peoples Rate This

Mirza Mohammad Nayar's More Poetry

Your Thoughts and Comments

Sham Ka AKHbar In Hindi By Famous Poet Mirza Mohammad Nayar. Sham Ka AKHbar is written by Mirza Mohammad Nayar. Complete Poem Sham Ka AKHbar in Hindi by Mirza Mohammad Nayar. Download free Sham Ka AKHbar Poem for Youth in PDF. Sham Ka AKHbar is a Poem on Inspiration for young students. Share Sham Ka AKHbar with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.