तुम ले के अपने हाथ में ख़ंजर न देखना
तुम ले के अपने हाथ में ख़ंजर न देखना
और देखना तो तन पे मिरे सर न देखना
दुश्मन भी मेरे साथ ही आता है बज़्म में
तुम को क़सम है आँख उठा कर न देखना
गर देखते नहीं हो नदामत से जौर की
तुम अब तो देख लो दम-ए-महशर न देखना
दिल पर रहेगी नक़्श ये बे-मेहरियाँ तिरी
जाना और इस तरह से कि मुड़ कर न देखना
'माइल' जो तौबा करते हो कैसा ही अब्र हो
फिर आँख उठा के शीशा-ओ-साग़र न देखना
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