Ghazals of Mirza Mayal Dehlvi
नाम | मिर्ज़ा मायल देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mirza Mayal Dehlvi |
वाइज़ पिए हुए हूँ ख़ुदा के लिए न छेड़
तुम ले के अपने हाथ में ख़ंजर न देखना
तुम ख़ूब उड़ाते रहो ख़ाका मिरे दिल का
शुक्र उस ने किया लब पे मगर नाम न आया
फिर आ गई इक बुत पे तबीअत को हुआ क्या
न हो शबाब तो कैफ़िय्यत-ए-शराब कहाँ
किस मुँह से करूँ मैं तन-ए-उर्यां की शिकायत
डूबा हुआ उठूँ दम-ए-महशर शराब में
बन बन के बिगड़ जाएगी तदबीर कहाँ तक
बातें हैं वाइज़ों की अज़ाब ओ सवाब क्या
अश्क-ए-गुलगूँ को न ख़ून-ए-शोहदा को देखा
ऐसी क्या थीं इताब की बातें
ऐ सितमगर नहीं देखा जाता
आप क्या एक सितमगार बने बैठे हैं