Love Poetry of Mirza Ghalib (page 8)
नाम | ग़ालिब |
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अंग्रेज़ी नाम | Mirza Ghalib |
जन्म की तारीख | 1797 |
मौत की तिथि | 1869 |
जन्म स्थान | Delhi |
दर्द से मेरे है तुझ को बे-क़रारी हाए हाए
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है
चाहिए अच्छों को जितना चाहिए
चाक की ख़्वाहिश अगर वहशत ब-उर्यानी करे
बिसात-ए-इज्ज़ में था एक दिल यक क़तरा ख़ूँ वो भी
बे-ए'तिदालियों से सुबुक सब में हम हुए
बज़्म-ए-शाहंशाह में अशआर का दफ़्तर खुला
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
बर्शिकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए
ब-नाला हासिल-ए-दिल-बस्तगी फ़राहम कर
बला से हैं जो ये पेश-ए-नज़र दर-ओ-दीवार
बहुत सही ग़म-ए-गीती शराब कम क्या है
बाग़ पा कर ख़फ़क़ानी ये डराता है मुझे
अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है
अजब नशात से जल्लाद के चले हैं हम आगे
आमद-ए-सैलाब-ए-तूफ़ान-ए-सदा-ए-आब है
आमद-ए-ख़त से हुआ है सर्द जो बाज़ार-ए-दोस्त
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
आबरू क्या ख़ाक उस गुल की कि गुलशन में नहीं