तुझ से तो कुछ कलाम नहीं लेकिन ऐ नदीम
मेरा सलाम कहियो अगर नामा-बर मिले
Allama Iqbal
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Gulzar
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2130) Peoples Rate This
न सुनो गर बुरा कहे कोई
महरम नहीं है तू ही नवा-हा-ए-राज़ का
जुज़ क़ैस और कोई न आया ब-रू-ए-कार
वा-हसरता कि यार ने खींचा सितम से हाथ
हैं आज क्यूँ ज़लील कि कल तक न थी पसंद
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
क़त्अ कीजे न तअ'ल्लुक़ हम से
तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो
दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
मौत का एक दिन मुअय्यन है
जल्वे का तेरे वो आलम है कि गर कीजे ख़याल
ख़ुदाया जज़्बा-ए-दिल की मगर तासीर उल्टी है