तेशे बग़ैर मर न सका कोहकन 'असद'
सरगश्ता-ए-ख़ुमार-ए-रुसूम-ओ-क़ुयूद था
Anwar Masood
Allama Iqbal
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हासिल से हाथ धो बैठ ऐ आरज़ू-ख़िरामी
बर्शिकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए
मैं ने कहा कि बज़्म-ए-नाज़ चाहिए ग़ैर से तिही
नाला जुज़ हुस्न-ए-तलब ऐ सितम-ईजाद नहीं
यक-ज़र्रा-ए-ज़मीं नहीं बे-कार बाग़ का
फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार
नज़्ज़ारे ने भी काम किया वाँ नक़ाब का
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'
नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़
नींद उस की है दिमाग़ उस का है रातें उस की हैं
वो आ के ख़्वाब में तस्कीन-ए-इज़्तिराब तो दे
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़