क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Gulzar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
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या-रब ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिए
तमाशा कि ऐ महव-ए-आईना-दारी
या रब हमें तो ख़्वाब में भी मत दिखाइयो
मैं ने जुनूँ से की जो 'असद' इल्तिमास-ए-रंग
हुजूम-ए-नाला हैरत आजिज़-ए-अर्ज़-ए-यक-अफ़्ग़ँ है
गिरनी थी हम पे बर्क़-ए-तजल्ली न तूर पर
परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को फ़ना की तालीम
ज़माना सख़्त कम-आज़ार है ब-जान-ए-असद
ज़िंदगी में तो वो महफ़िल से उठा देते थे
वो फ़िराक़ और वो विसाल कहाँ
न लुटता दिन को तो कब रात को यूँ बे-ख़बर सोता