क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
क़र्ज़ की पीते थे मय लेकिन समझते थे कि हाँ
रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
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रंग लावेगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन
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