नज़र लगे न कहीं उन के दस्त-ओ-बाज़ू को
नज़र लगे न कहीं उन के दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को देखते हैं
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नज़र लगे न कहीं उन के दस्त-ओ-बाज़ू को
ये लोग क्यूँ मिरे ज़ख़्म-ए-जिगर को देखते हैं
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