मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए
जोश-ए-क़दह से बज़्म चराग़ाँ किए हुए
Anwar Masood
Gulzar
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2398) Peoples Rate This
चाहिए अच्छों को जितना चाहिए
गर ख़ामुशी से फ़ाएदा इख़्फ़ा-ए-हाल है
ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है
सितम-कश मस्लहत से हूँ कि ख़ूबाँ तुझ पे आशिक़ हैं
किसी को दे के दिल कोई नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ क्यूँ हो
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं
चश्म-ए-ख़ूबाँ ख़ामुशी में भी नवा-पर्दाज़ है
दिल ही तो है सियासत-ए-दरबाँ से डर गया
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या क्या कुछ
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
धमकी में मर गया जो न बाब-ए-नबर्द था