लेता नहीं मिरे दिल-ए-आवारा की ख़बर
अब तक वो जानता है कि मेरे ही पास है
Gulzar
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Habib Jalib
Wasi Shah
Rahat Indori
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1472) Peoples Rate This
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
नक़्श-ए-नाज़-ए-बुत-ए-तन्नाज़ ब-आग़ोश-ए-रक़ीब
मुझ को दयार-ए-ग़ैर में मारा वतन से दूर
गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद
लेता हूँ मकतब-ए-ग़म-ए-दिल में सबक़ हुनूज़
क़फ़स में हूँ गर अच्छा भी न जानें मेरे शेवन को
जब तक दहान-ए-ज़ख़्म न पैदा करे कोई
लाज़िम था कि देखो मिरा रस्ता कोई दिन और
जब ब-तक़रीब-ए-सफ़र यार ने महमिल बाँधा
आँख की तस्वीर सर-नामे पे खींची है कि ता
रफ़्तार-ए-उम्र क़त-ए-रह-ए-इज़्तिराब है