जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(5366) Peoples Rate This
वाँ पहुँच कर जो ग़श आता पए-हम है हम को
न सताइश की तमन्ना न सिले की परवा
लब-ए-ईसा की जुम्बिश करती है गहवारा-जम्बानी
गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग
जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगे
अगले वक़्तों के हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो
'ग़ालिब' बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे
ग़म नहीं होता है आज़ादों को बेश अज़-यक-नफ़स
मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़
मैं ना-मुराद दिल की तसल्ली को क्या करूँ
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से