गुंजाइश-ए-अदावत-ए-अग़्यार यक तरफ़
याँ दिल में ज़ोफ़ से हवस-ए-यार भी नहीं
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कौन है जो नहीं है हाजत-मंद
ख़मोशियों में तमाशा अदा निकलती है
पूछे है क्या वजूद ओ अदम अहल-ए-शौक़ का
तू और आराइश-ए-ख़म-ए-काकुल
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ
हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह
लूँ वाम बख़्त-ए-ख़ुफ़्ता से यक-ख़्वाब-ए-खुश वले
ये लाश-ए-बे-कफ़न 'असद'-ए-ख़स्ता-जाँ की है
दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग
दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद