दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हम को
न दे जो बोसा तो मुँह से कहीं जवाब तो दे
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(3577) Peoples Rate This
दाग़-ए-फ़िराक़-ए-सोहबत-ए-शब की जली हुई
विदाअ ओ वस्ल में हैं लज़्ज़तें जुदागाना
आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में
कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़
बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलक
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
मैं भी रुक रुक के न मरता जो ज़बाँ के बदले
मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब'
अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है
काँटों की ज़बाँ सूख गई प्यास से या रब
दिल-ए-हर-क़तरा है साज़-ए-अनल-बहर