बस-कि हूँ 'ग़ालिब' असीरी में भी आतिश ज़ेर-ए-पा
मू-ए-आतिश दीदा है हल्क़ा मिरी ज़ंजीर का
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ज़ोफ़ में तअना-ए-अग़्यार का शिकवा क्या है
कहूँ जो हाल तो कहते हो मुद्दआ' कहिए
आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
कार-गाह-ए-हस्ती में लाला दाग़-सामाँ है
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
बू-ए-गुल नाला-ए-दिल दूद-ए-चराग़-ए-महफ़िल
मैं ने जुनूँ से की जो 'असद' इल्तिमास-ए-रंग
अज़-मेहर ता-ब-ज़र्रा दिल-ओ-दिल है आइना
है ख़बर गर्म उन के आने की
मरते मरते देखने की आरज़ू रह जाएगी
हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़
बोसा देते नहीं और दिल पे है हर लहज़ा निगाह