लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज
Gulzar
Jaun Eliya
Anwar Masood
Habib Jalib
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Ahmad Faraz
Allama Iqbal
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Javed Akhtar
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
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क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी
तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो
काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
वुसअत-ए-सई-ए-करम देख कि सर-ता-सर-ए-ख़ाक
जाते हुए कहते हो क़यामत को मिलेंगे
सर पा-ए-ख़ुम पे चाहिए हंगाम-ए-बे-ख़ुदी
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
हवस-ए-गुल के तसव्वुर में भी खटका न रहा
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद'