जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या

जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या

कहते हैं हम तुझ को मुँह दिखलाएँ क्या

रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ

हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या

लाग हो तो उस को हम समझें लगाव

जब न हो कुछ भी तो धोका खाएँ क्या

हो लिए क्यूँ नामा-बर के साथ साथ

या रब अपने ख़त को हम पहुँचाएँ क्या

मौज-ए-ख़ूँ सर से गुज़र ही क्यूँ न जाए

आस्तान-ए-यार से उठ जाएँ क्या

उम्र भर देखा किया मरने की राह

मर गए पर देखिए दिखलाएँ क्या

पूछते हैं वो कि 'ग़ालिब' कौन है

कोई बतलाओ कि हम बतलाएँ क्या

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Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya In Hindi By Famous Poet Mirza Ghalib. Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya is written by Mirza Ghalib. Complete Poem Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya in Hindi by Mirza Ghalib. Download free Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya Poem for Youth in PDF. Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Jaur Se Baz Aae Par Baz Aaen Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.