हूँ मैं भी तमाशाई-ए-नैरंग-ए-तमन्ना
मतलब नहीं कुछ इस से कि मतलब ही बर आवे
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बर्शिकाल-ए-गिर्या-ए-आशिक़ है देखा चाहिए
दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हम को
रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ
या-रब वो न समझे हैं न समझेंगे मिरी बात
पूछे है क्या वजूद ओ अदम अहल-ए-शौक़ का
बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
न लेवे गर ख़स-ए-जौहर तरावत सब्ज़ा-ए-ख़त से
ज़ोफ़ में तअना-ए-अग़्यार का शिकवा क्या है
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
ज़बाँ पे बार-ए-ख़ुदाया ये किस का नाम आया
हम से खुल जाओ ब-वक़्त-ए-मय-परस्ती एक दिन
कोई वीरानी सी वीरानी है