हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते
हम रश्क को अपने भी गवारा नहीं करते
मरते हैं वले उन की तमन्ना नहीं करते
दर-पर्दा उन्हें ग़ैर से है रब्त-ए-निहानी
ज़ाहिर का ये पर्दा है कि पर्दा नहीं करते
ये बाइस-ए-नौमीदी-ए-अर्बाब-ए-हवस है
'ग़ालिब' को बुरा कहते हैं अच्छा नहीं करते
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