Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ac1df17e59fc97ea8b3fb378feeb98a6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है - ग़ालिब कविता - Darsaal

हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है

हुजूम-ए-ग़म से याँ तक सर-निगूनी मुझ को हासिल है

कि तार-ए-दामन ओ तार-ए-नज़र में फ़र्क़ मुश्किल है

रफ़ू-ए-ज़ख्म से मतलब है लज़्ज़त ज़ख़्म-ए-सोज़न की

समझियो मत कि पास-ए-दर्द से दीवाना ग़ाफ़िल है

वो गुल जिस गुल्सिताँ में जल्वा-फ़रमाई करे 'ग़ालिब'

चटकना ग़ुंचा-ए-गुल का सदा-ए-ख़ंदा-ए-दिल है

हुआ है माने-ए-आशिक़-नवाज़ी नाज़-ए-ख़ुद-बीनी

तकल्लुफ़-बर-तरफ़ आईना-ए-तमईज़ हाएल है

ब-सैल-ए-अश्क लख़्त-ए-दिल है दामन-गीर मिज़्गाँ का

ग़रीक़-ए-बहर जूया-ए-ख़स-ओ-ख़ाशाक-ए-साहिल है

बहा है याँ तक अश्कों में ग़ुबा-ए-कुल्फ़त-ए-ख़ातिर

कि चश्म-ए-तर में हर इक पारा-ए-दिल पा-ए-दर-गिल है

निकलती है तपिश में बिस्मिलों की बर्क़ की शोख़ी

ग़रज़ अब तक ख़याल-ए-गर्मी-ए-रफ़्तार क़ातिल है

(1175) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai In Hindi By Famous Poet Mirza Ghalib. Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai is written by Mirza Ghalib. Complete Poem Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai in Hindi by Mirza Ghalib. Download free Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai Poem for Youth in PDF. Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hujum-e-gham Se Yan Tak Sar-niguni Mujhko Hasil Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.