Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_05d80f719f1a621dda0c0a8b95e089f2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से - ग़ालिब कविता - Darsaal

है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से

है बज़्म-ए-बुताँ में सुख़न आज़ुर्दा-लबों से

तंग आए हैं हम ऐसे ख़ुशामद-तलबों से

है दौर-ए-क़दह वज्ह-ए-परेशानी-ए-सहबा

यक-बार लगा दो ख़ुम-ए-मय मेरे लबों से

रिंदाना-ए-दर-ए-मय-कदा गुस्ताख़ हैं ज़ाहिद

ज़िन्हार न होना तरफ़ इन बे-अदबों से

बेदाद-ए-वफ़ा देख, कि जाती रही आख़िर

हर-चंद मिरी जान को था रब्त लबों से

क्या पूछे है बर-ख़ुद ग़लती-हा-ए-अज़ीज़ाँ

ख़्वारी को भी इक आर है अआली-नसबों से

गो तुम को रज़ा-जूई-ए-अग़्यार है लेकिन

जाती है मुलाक़ात कब ऐसे सबबों से

मत पूछ 'असद' वअ'दा-ए-कम-फ़ुर्सती-ए-ज़ीस्त

दो दिन भी जो काटे तू क़यामत तअबों से

(1287) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se In Hindi By Famous Poet Mirza Ghalib. Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se is written by Mirza Ghalib. Complete Poem Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se in Hindi by Mirza Ghalib. Download free Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se Poem for Youth in PDF. Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Bazm-e-butan Mein SuKHan Aazurda-labon Se with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.