Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2ac2f951e9189015a0a831d79316f142, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे - ग़ालिब कविता - Darsaal

देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे

देख कर दर-पर्दा गर्म-ए-दामन-अफ़्शानी मुझे

कर गई वाबस्ता-ए-तन मेरी उर्यानी मुझे

बन गया तेग़-ए-निगाह-ए-यार का संग-ए-फ़साँ

मर्हबा मैं क्या मुबारक है गिराँ-जानी मुझे

क्यूँ न हो बे-इल्तिफ़ाती उस की ख़ातिर जम्अ है

जानता है महव-ए-पुर्सिश-हा-ए-पिन्हानी मुझे

मेरे ग़म-ख़ाने की क़िस्मत जब रक़म होने लगी

लिख दिया मिन-जुमला-ए-असबाब-ए-वीरानी मुझे

बद-गुमाँ होता है वो काफ़िर न होता काश के

इस क़दर ज़ौक़-ए-नवा-ए-मुर्ग़-ए-बुस्तानी मुझे

वाए वाँ भी शोर-ए-महशर ने न दम लेने दिया

ले गया था गोर में ज़ौक़-ए-तन-आसानी मुझे

वअ'दा आने का वफ़ा कीजे ये क्या अंदाज़ है

तुम ने क्यूँ सौंपी है मेरे घर की दरबानी मुझे

हाँ नशात-ए-आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी वाह वाह

फिर हुआ है ताज़ा सौदा-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी मुझे

दी मिरे भाई को हक़ ने अज़-सर-ए-नौ ज़िंदगी

मीरज़ा यूसुफ़ है 'ग़ालिब' यूसुफ़-ए-सानी मुझे

(1458) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe In Hindi By Famous Poet Mirza Ghalib. Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe is written by Mirza Ghalib. Complete Poem Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe in Hindi by Mirza Ghalib. Download free Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe Poem for Youth in PDF. Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Dekh Kar Dar-parda Garm-e-daman-afshani Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.