जो आया यार तो तू हो चला ग़श ऐ दिवाने दिल
इसी दम तुझ को मरना था बता क्या तुझ को धाड़ आई
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नम-ए-अश्क आँखों से ढलने लगा है
कहा किस ने कि तुम ये वो न बोलो
देख अपने माइलों को कि हैं दिल जले पड़े
जबकि ग़ुस्से के बीच आते हो
तू आशिक़ों के तईं जब से क़त्ल-ए-नाज़ किया
हम फ़रामोश की फ़रामोशी
रफ़ू जेब-ए-मजनूँ हुआ कब ऐ नासेह
इस की सूरत को देख कर भूले
सीने का अब तक है ज़ख़्म आला मियाँ
भौवें चढ़ी हैं और है तेवर झुका हुआ
समझ घर यार का मैं शह-नशीन-ए-दिल को धोता हूँ
जी में क्या क्या मिरी उमाहा था