Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_736a3212c597cce50e64c2d63c50dbeb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तू आशिक़ों के तईं जब से क़त्ल-ए-नाज़ किया - मिर्ज़ा अज़फ़री कविता - Darsaal

तू आशिक़ों के तईं जब से क़त्ल-ए-नाज़ किया

तू आशिक़ों के तईं जब से क़त्ल-ए-नाज़ किया

ख़ुशी हैं मिन्नत-ए-जाँ से तो बे-नियाज़ किया

कहाँ की अक़्ल किधर के हवास कैसा होश

ख़िरद के क़स्र पे तू ने तो तर्क-ए-नाज़ किया

हमारे कल्बा-ए-अहज़ाँ में कर क़दम-रंजा

निहाल हम को तू ऐ सर्व-ए-सरफ़राज़ किया

किया था तेग़ा-ए-अबरू ने मुख़्तसर क़िस्सा

प तेरी काकुल-ए-मुश्कीं ने फिर दराज़ किया

दिल और लाऊँ कहाँ से लगे जो औरों से

जो एक दल था सो वो तो तिरी नियाज़ किया

ये तिफ़्ल-ए-अश्क मिरा 'अज़फ़री' है नाशुदनी

जवाना-मर्ग मिरी उस ने फ़ाश राज़ किया

(592) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya In Hindi By Famous Poet Mirza Azfari. Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya is written by Mirza Azfari. Complete Poem Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya in Hindi by Mirza Azfari. Download free Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya Poem for Youth in PDF. Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya is a Poem on Inspiration for young students. Share Tu Aashiqon Ke Tain Jab Se Qatl-e-naz Kiya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.